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Showing posts from July, 2023

शिव भक्ति

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 शिव स्तवन   शंकर शशांकशीश शंभु शिव शूलपाणि,                               शशिशिर शैलजेश शर्व शाम्भवी के पति ।                                 कंठ कालकूट काम कदन कपाली काली-                                 कंत करुणाकर कपर्दी है कृपालु अति ।।                                 भूतनाथ भव्य भव भस्मअंग भालज्वाल,                                   भीम भव तारक भवेश भक्त अंतगति।                                'चैलहीन चंड चिंत्य 'शुक्ल' चित्त-चिंतामणि,                               चंद्रचूड़ चारु अंघ्रि युग्म में मदीय रति ।। शिव भक्ति भगवान शिव को देवों का देव महादेव कहा गया है। मानव से लेकर दानव और देव तक सभी उनकी पूजा करते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के जतन करते हैं। भगवान शिव के विषय में यह भी कहा जाता है कि यह औपचारिकताओं के बजाय भक्त की भावनाओं को अधिक महत्व देते हैं। थोड़े में ही बहुत प्रसन्न हो जाते हैं। इसीलिए उन्हें आशुतोष का नाम भी दिया गया है। यह उनकी महिमा ही है कि आकाश- पाताल सर्वत्र प्रजापति, गंदर्भ, किन्नर, नाग, वसु, यक्ष तथा सभी योनियों के विभिन्न ज्ञात एवं अज्ञात घटकगण भग

चेहरे की झाइयों का उपचार

    कैसे करें चेहरे की झाइयों का उपचार- आपके खूबसूरत चेहरे पर अगर झाईयां हैं, तो कहीं ना कहीं यह आपके आत्मविश्वास को भी प्रभावित करती हैं। आंखों के इर्द-गिर्द या फिर चेहरे पर झाइयां आपके सौंदर्य को प्रभावित करती हैं। ● चेहरे पर पड़ने वाली झाइयों का कारण आपके पेट में गड़बड़ी या हार्मोंस में असंतुलन हो सकता है। हालांकि झाइयों से मुक्ति पाने के लिए आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। लेकिन कभी-कभी यह झाइयां समय के साथ ठीक भी हो जाती हैं। चेहरे की झाइयां दूर करने के लिए आप घरेलू उपचार भी अपना सकती हैं। आइए जानें चेहरे की झाइयों से मुक्ति पाने के लिए क्या करें। 1) झाइयों से बचने के लिए जरूरी है कि आप तेज धूप से बचें। जब भी आप धूप में निकले तो छतरी का इस्तेमाल करें और अपनी आंखों को बचाएं। 2) धूप में घर से बाहर निकलते समय सनस्क्रीन लोशन जरूर लगाएं। 3) घरेलू उपाय अपनाते हुए आप घर में ही स्क्रब कर सकती हैं। स्क्रब के लिए जौ के आटे में दही, लेमन जूस और मिंट जूस मिलाकर चेहरे पर 2 से 3 मिनट तक मलें और लगभग 5मिनट के बाद चेहरा धो लें। 4) चेहरे की झाइयां दूर करने के लिए आप नींबू, हल्दी और बेसन का पेस्ट ब

चेहरे का सौंदर्य

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  चेहरे का सौंदर्य :- चेहरे पर दाग धब्बे ललाट , आँखों से कुछ नीचे, नाक पर छोटे छोटे, फैले हुए गहरे रंग के होते हैं। आँखों के आसपास की त्वचा बहुत कोमल होती है और इसमें चर्बी के सूक्ष्म कण होते हैं । यदि ये कण स्वस्थ रहते हैं तो काले धब्बे नहीं पड़ते। आँखों के आसपास की चर्बी कम होने से रक्त संचार सही नहीं हो पाता, इस दुर्बलता से आँखों के आसपास कालापन और धब्बे हो जाते हैं। चेहरे पर झाईयां पड़ने पर भोजन में लोह (लोहा), कैल्शियम और विटामिन्स, प्रोटीन, हरी सब्जियां फल आदि प्रचुर मात्र में लें। धूप से बचें। कारण : धूप में अधिक समय रहने से दाग धब्बे हो जाते हैं। धूप में रहने से मेलानिन अधिक मात्रा में पैदा होता है, जिससे त्वचा काली हो जाती है। मानसिक तनाव इसका सबसे बड़ा कारण है। आँखे गड्ढों में बैठती जाती हैं और त्वचा काली होती जाती है, झाईयां सर चेहरे पर आ जाती है। धूप व तनाव से बचें। विटामिन- सी अधिक लें। चाय के गरम पानी से से चेहरे के धब्बों, आँखों के पास की कालिमा को धोएं। बादाम रोगन की मालिश करें। इससे लाभ होता है। सोयाबीन 12 घंटे भिगोयें। इसे पीसकर चेहरे पर एक दिन छोड़कर एक दिन लेप करे।

कैल्शियम की कमी

  कैल्शियम की कमी को दूर कैसे करे - 1. पानी में अदरक डाल कर उबालें। इस पानी में शहद और हल्का नींबू निचोड़ें। सुबह 20 दिन तक पिएं। कैल्शियम की आपूर्ति होगी। 2. प्रति दिन 2 चम्मच तिल का सेवन करें। आप इसे लड्डू या चिक्की के रूप में भी ले सकते हैं। 3. एक चम्मच जीरे को रात भर पानी में भिगो दें। सुबह इसका सेवन करें। 15 दिन में लाभ दिखेगा। 4. 1 अंजीर व दो बादाम रात में गलाएं और सुबह इसका सेवन करें। शर्तिया फायदा होगा। 5. रागी का हफ्ते में एक बार किसी ना किसी रूप में सेवन करें। दलिया, हलवा या खीर बनाकर ले सकते हैं। किसी भी प्रकार से रागी कैल्शियम का विश्वसनीय स्त्रोत हैं। 6. नींबू पानी दिन भर में एक बार अवश्य लें। 7. अंकुरित अनाज में कैल्शियम प्रचूर मात्रा में होता है। अगर आप अंकुरित आहार नहीं ले सकते हैं तो हफ्ते में एक बार सोयाबीन ले सकते हैं।

आंखे (Eyes)

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  आंखे   (Eyes) आंखे शरीर का वह अंग जिससे हम पूरी दुनिया को देखते हैं। एक बार कल्पना करके देखिए कि यदि आंखें न हो, तो जीवन कितना अंधकारमय हो जाएगा। अत: आवश्यक है कि आंखों की देखभाल की जाए और इस काम में कोई कोताही न बरती जाए। आंखों की देखभाल के लिए आप उसी तरह नियम तय कर लें, जैसे कि दांतों को साफ करने के लिए सुबह हम ब्रश करते हैं। इन नियमों में सबसे महत्वपूर्ण है कि आंखों को अक्सर ठंडे पानी से धोते रहें। सुबह उठने के बाद तो आप आंखों और मुंह को धोते ही हैं, किंतु सोने से पहले आंखों को स्वच्छ जल से धोकर गंदगी को निकाल बाहर करें। ऐसा करने से नींद के दौरान आंखें आराम में रहेंगी। एक नियम यह भी   बनाएं कि जब भी वाहन, खासकर दोपहिया चलाएंगे, तब आंखों पर चश्मा अवश्य पहनेंगे। ऐसा करने से तेज  हवा, धूल, ककड़ या अन्य किसी चीज और आंखों के बीच में चश्मा एक सुरक्षा आवरण का काम करेगा। यदि आप इसे नहीं लगाएंगे तो कोई भी आब्जेक्ट सीधे आपकी आंख से टकराएगा। चूंकि आंख बहुत संवेदनशील अंग है, इसलिए छोटा सा तिनका भी इन्हें नुकसान पहुंचा सकता है। अतः सावधानी रखें और भगवान के इन अनमोल    उपहार को सुरक्षित रखें।

मौसम परिवर्तन

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  मौसम परिवर्तन मौसम परिवर्तन के कारण फिर मौसम  बीमारियों  का खतरा बढ़ने लगा है। दिनभर तेज धूप की तपन और शाम होते ही बारिश होने के कारण बच्चे, बुजुर्ग अधिक बीमार हो रहे हैं। मौसम परिवर्तन के कारण उल्टी, दस्त, वायरल बुखार अधिक फैलते हैं। लेकिन इसके बाद भी लोग ध्यान नहीं देते हैं। जबकि इन दिनों लोगों को लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। इनसे बचने के लिए अधिक मात्रा में पानी पिएं, धूप से बचाव करें, ताजे फलों का सेवन करें और पौष्टिक आहार लें। इससे इन बीमारियों से बचा जा सकता है। वहीं बाहर का खाने से बचना चाहिए, क्योंकि बाहर का खाने से बीमारियां हो सकती है। खासकर तला हुआ खाना बिल्कुल नहीं खाना चाहिए। यदि घर में कोई बीमार है तो उससे दूरी बनाना चाहिए। खांसते- छींकते समय मुंह पर रुमाल रखें ताकि इंफेक्शन दूसरों में न फैले। बाजारों में भी जा रहे हैं तो भीड वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए। समय-समय पर हाथों को धोना चाहिए। बीमार पड़ने पर कभी भी अपने मन से दवाई न लें। यदि सर्दी-खांसी भी हो तो विशेषज्ञ की सलाह से ही दवाई लें। इस मौसम में छोटे बच्चों और बुजुर्गों को अधिक सावधानियां रखनी चाहिए। घर से बाहर नि

उच्च रक्तचाप

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  उच्च रक्तचाप बीते  कुछ वर्षों में युवाओं में उच्च रक्तचाप के मामले अधिक बढ़े हैं। विशेष रूप से ऊपरी तौर पर फिट दिखने वाले व्यक्तियों में इसकी आशंका काफी अधिक बढ़ी है। जो भी इसकी चपेट में आ रहा है, वह इसके लक्षण भी समझ नहीं पाता। यह चिंता का विषय है। ऐसे में, इसके लक्षणों के बारे में जानना जरूरी है ताकि समय पर इसका पता चल सके और इलाज से एक बार फिर स्वस्थ जीवनशैली का पालन किया जा सके। सामान्यतौर पर व्यायाम की कमी, तनाव की अधिकता, संतुलित जीवनशैली की कमी या गुर्दे से संबंधित बीमारी होने के कारण शरीर में उच्च रक्तचाप पनपने लगता है। वहीं मधुमेह से ग्रसित लोगों में इसके होने की आशंका दो-तीन गुना बढ़ जाती है। कम उम्र में इसका शिकार होने के मुख्य कारण तनाव, अनिद्रा, अत्यधिक सोचना और धूमपान हो सकते हैं। उच्च रक्तचाप के कोई विशिष्ट लक्षण नहीं होते हैं लेकिन चिड़चिड़ापन, थकान, कमजोरी, सिरदर्द, आंखों के चारों तरफ जकड़न आदि सामान्य लक्षण हैं। अलग से कोई विशेष लक्षण न दिखने पर मरीज कई जटिलताओं के साथ आता है, इसलिए कई बार इस बीमारी को साइलेंट किलर भी कहा जाता है। शरीर के हर एक भाग पर उच्च रक्तचाप का

बच्चों की जीवनशैली और खानपान में बदलाव

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बच्चों  की   जीवनशैली और खानपान में बदलाव आजकल कम उम्र में ही बच्चों को कमर दर्द की शिकायत  होने लगी है। जिसका मुख्य कारण है जीवनशैली और खानपान में बदलाव होना। आजकल बच्चे लंबे समय तक स्कूल और कोचिंग में कुर्सियों पर एक जैसे बैठे रहते हैं। साथ ही काम करने वाले युवा भी अधिक समय तक एक जैसे बैठकर काम करते हैं। जिसके कारण भी कमर दर्द की समस्या ज्यादा होने लगी है। कई बार लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं, जिसके कारण यह बड़ी समस्या भी बन सकती है। खानपान में जितना हो सके कोल्डड्रिंक, सोड़े के सेवन से बचना चाहिए। क्योंकि इनके सेवन से शरीर में कैल्शियम की कमी होती है। सोने के तरीके में बदलाव के कारण भी कमर दर्द हो सकता है। कई लोग जिम के दौरान भी ध्यान नहीं रखते हैं कि उन्हें कितना वजन उठाना चाहिए। ज्यादा वजन उठाने के कारण भी कमर का दर्द शुरू हो जाता है। जो लंबे समय तक भी रह सकता है। यदि नियमित रूप से योग और व्यायाम किए जाए तो कमर दर्द को दूर करने में मदद मिल सकती है। आजकल बच्चे मैदानों में खेलने के बजाय घर पर रहकर ही मोबाइल का इस्तेमाल ज्यादा करने लगे हैं। जिसके कारण उनकी शारीरिक गतिविधियां भी कम हो

करेले के फायदे!!!

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    करेले के फायदे!!! करेले के कड़वेपन पर न जाइए :-* - करेला मधुमेह में रामबाण औषधि का कार्य करता है, छाया में सुखाए हुए करेला का एक चम्मच पावडर प्रतिदिन सेवन करने से डायबिटीज में चमत्कारिक लाभ मिलता है क्योंकि करेला पेंक्रियाज को उत्तेजित कर इंसुलिन के स्रावण को बढ़ाता है। - विटामिन ए की उपस्थिति के कारण इसकी सब्जी खाने से रतौंधी रोग नहीं होता है। जोड़ों के दर्द में करेले की सब्जी का सेवन व जोड़ों पर करेले के पत्तों का रस लगाने से आराम मिलता है। - करेले के तीन बीज और तीन कालीमिर्च को पत्थर पर पानी के साथ घिसकर बच्चों को पिलाने से उल्टी-दस्त बंद होते हैं।करेले के पत्तों को सेंककर सेंधा नमक मिलाकर खाने से अम्लपित्त के रोगियों को भोजन से पहले होने वाली उल्टी बंद होती है। - करेला खाने वाले को कफ की शिकायत नहीं होने पाती। इसमें प्रोटीन तो भरपूर पाया जाता है। इसके अलावा करेले में कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन पाए जाते हैं। करेले की छोटी और बड़ी दो प्रकार की प्रजाति होती है, जिससे इनके कसैलेपन में भी अंतर आता है। - करेले का रस और 1 नींबू का रस मिलाकर सुबह सेवन करने से शरीर की चर्बी कम

लहसुन के फायदे

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  लहसुन के फायदे भुनी हुई लहसुन के फायदे जानकर हैरान हो जाएंगे आप*  1 सुबह खालीपेट लहसुन को भूनकर खाने से कॉलेस्ट्रॉल कम होता है, और कॉलेस्ट्रॉल से जुड़ी सभी स्वास्थ्य समस्याओं जैसे हृदय की नलियों में कॉलेस्ट्रॉल का जमाव आदि के लिए यह बेहद फायदेमंद तरीका है। 2 वजन कम करना चाहते हैं तो भी यह फायदेमंद है, क्योंकि कॉलेस्ट्रॉल का स्तर कम होने के साथ-साथ आपका वजन घटने लगेगा और मोटापा गायब हो जाएगा। 3 सर्दी के दिनों में यह सर्दी, खांसी और जुकाम से बचाता है और शरीर में गर्माहट पैदा करने में मदद करता है। इतना ही नहीं यह रक्तप्रवाह को भी बेहतर बनाए रखता है। 4 प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ यह ब्लडप्रेशर नियंत्रित करता है और अपने एंटी इंफ्लेमटरी एवं एंटी फंगल गुणों के कारण शरीर की अंदरूनी सफाई कर कई बीमारियों से बचाए रखता है। 5 इसमें मौजूद भरपूर कार्बोहाइड्रेट शरीर की कमजोरी को दूर कर शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। यह ब्लड शुगर को नियंत्र‍ित करने में भी मददगार है और कब्ज से भी बचाता है।

नीम से लाभ......

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  नीम से लाभ...... नीम का प्रयोग विषम ज्वर में :- किसी तरह का विषम ज्वर हो और बहुत इलाज के बाद भी जा ना रहा हो तो ऐसी अवस्था में नीम के पेड़ की अंदर वाली छाल को उतारकर उसका चूर्ण अथवा क्वाथ बनाकर रोगी को प्रत्येक 4-5 घण्टे के अंतर पर सेवन कराया जाये तो यह प्रयोग बहुत ही उत्तम औषधि का कार्य करता है नीम की छाल के इस प्रयोग का सेवन रोगी उस समय भी कर सकता है जिस समय ज्वर तीव्र हो एवं उस समय भी कर सकता है जिस समय ज्वर हल्का अथवा बिल्कुल भी ना हो । यदि मौसम में ज्वर का असर बहुत ज्यादा फैल रहा हो तो स्वस्थ व्यक्ति भी नीम यह प्रयोग कर सकता है । . नीम का प्रयोग पुरानी कब्ज़ एवं आँतों के कीड़ों में :- यदि कब्ज़ की समस्या ज्यादा है तो नीम की 5-7 निम्बोली लेकर उनको 300 मिलीलीटर पानी के साथ उबालकर काढ़ा तैयार करें । काढ़ा पकते-पकते जब शेष जल की मात्रा 200 मिलीलीटर रह जाये तो इस काढ़े को छानकर पीना चाहिये । यह प्रयोग केवल रात को सोते समय ही करना चाहिये । इस प्रयोग के करने से सुबह शौच खुलकर आ जाता है । यदि आँतों में कीड़े हों तो इस काढ़े में चुटकी भर भुनी हुई हींग मिलाकर तब पीना चाहिये । एक दो दिन में ही सभी

योग का महत्व

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   योग का महत्व योग कोई एक दिन का उत्साह या उत्सव नहीं है। योग का लाभ इसकी निरंतरता में ही निहित है। योग वस्तुतः जीवन का वह दर्शन है जो मनुष्य को उसके आत्मा से जोड़ता है। योग संयोग और सहयोग हमारे जीवन के तीन मुख्य पैरोकार हैं। बीकेएस आयंगर ने कहा है, 'योग वह प्रकाश है, जो एक बार जला दिया जाए तो कभी कम नहीं होता जितना अच्छा आप अभ्यास करेंगे, इसकी लौ उतनी ही उज्ज्वल होगी। स्वास्थ्य को सामान्यतः शरीर से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन पूर्ण स्वास्थ्य के लिए शरीर और मन के स्थायित्व एवं संतुलन के साथ ही भावों का निर्मल होना आवश्यक है। शरीर और मन दोनों का स्वस्थ रहना ही पूर्ण स्वास्थ्य की आवश्यक शर्त है। चूंकि योग से शारीरिक व्याधियों के अतिरिक्त मानसिक समस्याओं से भी मुक्ति पाई जा सकती है तो यह बहुत ही उपयोगी है। महर्षि पतंजलि ने योग की महिमा के विषय में कहा है, 'योग मन को शांति में स्थिर करना है। जब मन स्थिर हो जाता है, हम अपनी आवश्यक प्रकृति में स्थापित हो जाते हैं, जो कि असीम चेतना है। हमारी आवश्यक प्रकृति आम तौर पर मस्तिष्क की गतिविधियों द्वारा ढक दी जाती है।" योग का लाभ हमारे ज

सेहत!!!

  सेहत!!! किस महीने में क्या नही खाना चाहिए और क्या जरूर खाना चाहिए . चैत में गुड बिलकुल नहीं खाना चाहिए. नीम की पत्ती /फल, फूल खूब चबाना चाहिए. बैसाख में नया तेल नहीं खाना चाहिए , चावल खूब खाएं। जेठ में दोपहर में चलना मना है, दोपहर में सोना जरुरी है। आषाढ़ में पका बेल खाना मना है , घर की मरम्मत जरूरी है। सावन में साग खाना मना है, हर्रे खाना जरूरी है। भादो मे दही नहीं खाना चाहिए , चना खाना जरुरी है। कुवार में करेला मना है, गुड खाना जरुरी है। कार्तिक में जमीन पर सोना मना है, मूली खाना जरूरी है। अगहन में जीरा नहीं खाना चाहिए , तेल खाना जरुरी है। पूस में धनिया नहीं खाना चाहिए , दूध पीना जरूरी है। माघ में मिश्री नहीं खानी चाहिए  , खिचड़ी खाना जरुरी है। फागुन में चना नहीं  खाना चाहिए , प्रातः स्नान और नाश्ता जरुरी है। कुछ जरुरी बाते. सर्व प्रथम यह जान लीजिये कि कोई भी आयुर्वेदिक दवा खाली पेट खाई जाती है और दवा खाने से आधे घंटे के अंदर कुछ खाना अति आवश्यक होता है, नहीं तो दवा की गरमी आपको बेचैन कर देगी। चाय के साथ कोई भी नमकीन चीज नहीं खानी चाहिए।दूध और नमक का संयोग सफ़ेद दाग या किसी भी स्कि

खून की कमी (एनीमिया)

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  खून की कमी दूर हो जाएगी...                                        शरीर में खून की कमी हो जाने पर रोगी कमजोरी, थकावट, शक्तिहीनता और चक्कर जैसी कई समस्याएं हो सकती है। अगर आपको भी ऐसी कोई समस्या है तो लोहतत्वों की कमी को पूरा करने के लिए सेब, अंजीर, मुनक्का, अनार, पपीता व सब्जी में पालक, मेथी, गाजर, बथुआ, चुकंदर, खूबानी आदि को रात्रि में लोहे की कड़ाही में पानी के साथ 6 घंटे भिगोने के बाद प्रयोग करें, ऎसा करने से तेजी से खून में आयरन की मात्रा बढ़ेगी। साथ ही रोजाना 15 मिनट वरूण मुद्रा करें तो जल्द ही खून की कमी पूरी हो जाएगी। कैसे बनाएं वरूण मुद्रा.... किसी समतल स्थान पर आसन बिछाकर सुखासन में बैठ जाएं। गहरी सांस लें और छोड़ें। सबसे छोटी अंगुली तथा अंगूठे के पोर को मिलाकर शेष अंगुलियों को सीधा रखा जाए तो वरूण मुद्रा बनती है। इस मुद्रा  का अभ्यास रोजाना पंद्रह मिनट करें। लाभ.... यह मुद्रा रक्त संचार संतुलित करने,चर्मरोग से मुक्ति दिलाने, रक्त की न्यूनता (एनीमिया) दूर करने में सहायक है। वरुण मुद्रा के नियमित अभ्यास से शरीर में जल तत्व की कमी से होने वाले अनेक विकार समाप्त हो जाते हैं। जल

घरेलू अचूक नुस्खे......

  घरेलू अचूक नुस्खे...... जब बाल झड़ रहे हों.....    1. नीम का पेस्ट सिर में कुछ देर लगाए रखें। फिर बाल धो लें। बाल झड़ना बंद हो जाएगा।    2. बेसन मिला दूध या दही के घोल से बालों को धोएं। फायदा होगा।    3. दस मिनट का कच्चे पपीता का पेस्ट सिर में लगाएं। बाल नहीं झड़ेंगे और डेंड्रफ (रूसी) भी नहीं होगी।  कफ और सर्दी जुकाम में..... सर्दी जुकाम, कफ आए दिन की समस्या है। आप ये घरेलू उपाय आजमाकर इनसे बचे रह सकते हैं।    1. नाक बह रही हो तो काली मिर्च, अदरक, तुलसी को शहद में मिलाकर दिन में तीन बार लें। नाक बहना रुक जाएगा।    2. गले में खराश या ड्राई कफ होने पर अदरक के पेस्ट में गुड़ और घी मिलाकर खाएं। आराम मिलेगा।    3. नहाते समय शरीर पर नमक रगड़ने से भी जुकाम या नाक बहना बंद हो जाता है।    4. तुलसी के साथ शहद हर दो घंटे में खाएं। कफ से छुटकारा मिलेगा। शरीर, सांस की दुर्गध में..... यह परेशानी भी आम है। कई बार तो हमें इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ जाता है।    1. नहाने से पहले शरीर पर बेसन और दही का पेस्ट लगाएं। इससे त्वचा साफ हो जाती है और बंद रोम छिद्र भी खुल जाते हैं।    2. गाजर का जूस रोज पिए

पेट और कमर की चर्बी कम करने के उपाय

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  पेट और कमर की चर्बी कम करने के उपाय 1. लहसुन - पेट की चर्बी को कम करने के लिए सबसे आसान उपाय लहसुन है। नियमित रूप से लहसुन का सेवन (भोजन या कच्चे में) एलिसिन के एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों के कारण कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है। दरअसल लहसुन में एलिसिन पाया जाता है। यह रक्तचाप और ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने के लिए भी बेहद लाभकारी है। इसके लिए आप सुबह में एक या दो लहसुन को कच्चे रूप में चबा सकते हैं। शुरुआत में इसे चबाने से आपको मुश्किल हो सकती है, लेकिन समय के साथ, आप एक आदत विकसित करेंगे।  2. नींबू का सेवन - नींबू स्वाद के लिए अम्लीय होता है, लेकिन शरीर में क्षारीय होता है। पेट और कमर की चर्बी कम करने के लिए आप नियमित रूप से सुबह नींबू पानी का सेवन कर सकते हैं। यह पेट वसा से छुटकारा पाने का सबसे अच्छा, सरल और बहुत प्रभावी उपचारों में से एक है। आपको केवल गर्म पानी, नींबू की कुछ बूंदें और यदि आप चाहें तो एक चुटकी नमक या शहद का चम्मच भी डाल सकते हैं। पेट और कमर की चर्बी को घटाने के लिए यह बहुत ही प्रभावशाली उपाय है। आप इसका सेवन सुबह खाली पेट कीजिए

दस्त की समस्या

    दस्त की समस्या आधा चम्मच जीरा चबाके खा लो पीछे से गुनगुना पानी पी लो तो दस्त एकदम बंध हो जाते है एक ही खुराख में | अगर बहुत जादा दस्त हो … हर दो मिनिट में आपको टॉयलेट जाना पड़ रहा है तो आधा कप कच्चा दूध ले लो बिना गरम किया हुआ और उसमे निम्बू डालके जल्दी से पी लो | दूध फटने से पहले पीना है और बस एक ही खुराक लेना है बस इतने में ही खतरनाक दस्त ठीक हो जाते है |  ये जो बेल पत्र के पेड़ पर जो फल होते है उसका गुदा चबाके खा लो पीछे से थोडा पानी पी लो ये भी दस्त ठीक कर देता है | बेल का पाउडर मिलता है बाज़ार में उसका एक चम्मच गुनगुना पानी के साथ पी लो ये भी दस्त ठीक कर देता है | पेट अगर आपका साफ़ नही रहता कब्जियत रहती है तो इसकी सबसे अछि दावा है अजवाईन | इसको गुड में मिलाके चबाके खाओ और पीछे से गरम पानी पी लो तो पेट तुरंत साफ़ होता है , रात को खा के सो जाओ सुबह उठते ही पेट साफ होगा |  पेट साफ करने की वो है त्रिफला चूर्ण , रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला चूर्ण ले लो पानी के साथ पेट साफ हो जायेगा | खाना खाने के बाद एक कप लस्सी में एक चुटकी भुना ज़ीरा और काला नमक ड़ाल कर पीएं। दस्त में आराम आय

गले का संक्रमण

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  गले का संक्रमण गले का संक्रमण हो या गले की खराश, ये उपाय आएंगे आपके काम*  1 गले को आराम देने का सबसे सही समय होता है रात का वक्त। रात को सोते समय दूध में आधी मात्रा में पानी मिलाकर पिएं। इससे गले की खराश कम होगी। साथ ही गर्म हल्दी वाला दूध भी बहुत फायदेमंद होगा।  2 एक कप पानी में 4 से 5 कालीमिर्च एवं तुलसी की 5 पत्तियों को उबालकर काढ़ा बना लें और इस काढ़े को पिएं। इसे रात को सोते समय पीने पर लाभ होगा। इसके अलावा भोजन में आप साधारण चीजें ही खाएं तो बेहतर होगा।  3 गले में खराश होने पर गुनगुना पानी पिएं। गुनगुने पानी में सिरका डालकर गरारे करने से गले की खराश दूर होगी और गले का संक्रमण भी ठीक हो जाएगा। इसके अलावा गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे करना एक अच्छा इलाज है।  4 पालक के पत्तों को पीसकर इसकी पट्टी बनाकर गले में बांधे और 15 से 20 मिनट तक इसे बांधे रखने के बाद खोल लें। इसके अलावा धनिया के दानों को पीसकर उसका पाउडर बनाएं और उसमें गुलाब जल मिलाकर गले पर लगाएं। इससे भी आराम होगा।  5 गले की खराश के लिए कालीमिर्च को पीसकर घी या बताशे के साथ चाटने से भी लाभ होता है। साथ ही कालीमिर्च को 2

अर्जुन छाल के औषधीय गुण

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  अर्जुन छाल के औषधीय गुण   अर्जुन छाल हृदय रोग,कोलेस्ट्रोल एवं हाई ब्लड प्रेशर रामबाण अन्य रोगो मे भी क्या काम करती जाने* *अर्जुन छाल के औषधीय गुण धर्म*  इसका रस कैशैला होता है।अर्जुन की तासीर ठंडी होती है अर्थात यह शीत वीर्य होती है। गुणों में लघू  होती है। यह हृदय विकारों में फायदेमंद एवं पित एवं कफ का शमन करने वाली होती है। रक्तविकार एवं प्रमेह में भी इसके औषधीय गुण लाभदायी होते है। अर्जुन को सिर्फ हृदय के विकारों में ही लाभदायक नहीं माना जाता बल्कि अलग – अलग औषध योगों के साथ इसका उपयोग करने से बहुत से विकारों में फायदेमंद साबित होता है। *जाने विभिन्न रोगों में अर्जुन छाल के फायदे*  निम्न रोगों में अर्जुन का उपयोग किया जाता है।यहाँ हमने विभिन्न रोगों में अर्जुन छाल के उपयोग बताएं है। *पितशमन एवं रक्तपित में अर्जुन छाल का उपयोग* अर्जुन कफ एवं पितशामक होता है एवं अम्लपित में भी लाभप्रद होता है। रक्तपित की समस्या में अर्जुन की छाल का काढ़ा बना कर सुबह के कप पिने से रक्तपित की समस्या में फायदा मिलता है।  अम्लपित एवं पितशमन के लिए 1 ग्राम अर्जुन छाल चूर्ण में समान मात्रा में लाल चन्दन का

थायराइड रोग

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  थायराइड रोग बदलती जीवनशैली, अव्यवस्थित  खानपान, शारीरिक श्रम का अभाव जैसे विभिन्न कारणों से कई बीमारियां होने लगी हैं। कोई न कोई रोग हमारे जीवन को प्रभावित कर ही देता है और हम परेशान होते. रहते हैं। कुछ रोग ऐसे होते हैं जो हमारे शरीर की ग्रंथियों से जुड़े होते हैं। इन्हीं में से एक है थायराइड । थायरायड ग्रंथि गर्दन में श्वास नली के ऊपर एवं स्वर यंत्र के दोनों भागों में होती है। यह थायराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है। जब हार्मोन का स्तर कम ज्यादा हो जाता है तो थायराइड हो जाता है। अब कम उम्र में ही थायराइड लोगों को चपेट में लेने लगा है। इसके लक्षण अत्यंत सामान्य होने के कारण लोग इसे पहचान नहीं पाते और नजरअंदाज करते रहते हैं। यदि बच्चों को थायराइड हो जाता है तो उनकी हाइट कम रह जाती है। यदि घबराहट, चिड़चिड़ापन, जोड़ों में दर्द, बालों का झड़ना, वजन कम होना, पेट साफ ना होना आदि कोई भी लक्षण पाए जाते हैं तो हमें विशेषज्ञ की सलाह से इलाज करवाना चाहिए। हाइपो थायराडिज्म पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा होता है। थायराइड अव्यवस्थित जीवनशैली, आयोडीन की कमी, वंशानुगत आदि के कारण होता है। यदि परिव

अच्छी नींद आने के उपाय…

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    अच्छी नींद आने के उपाय… बदलती जीवनशैली के कारण कई लोगों को देर रात तक नींद नहीं आती है। जिसके कारण अगला दिन भी अच्छा नहीं जाता है। नींद ना आने का बड़ा कारण मस्तिष्क का भ्रमित होना है। इसके अलावा बिस्तर पर सोने के अलावा वहीं बैठकर खाना खाना, वहीं बैठकर मोबाइल चलाना आदि चीजें लोग करने लगे हैं। जिसके कारण भी समय पर नींद नहीं आ पाती है। आजकल सोने के पहले बच्चे और युवा मोबाइल का लंबे समय तक उपयोग करते हैं। जिसके कारण भी नींद नहीं आती है। इसलिए मोबाइल का उपयोग सोने के एक घंटे पहले बंद कर देना चाहिए। कई लोगों को रात में चाय-काफी पीने की आदत होती है, जो नींद उड़ा देती है। इसलिए यदि बेहतर नींद चाहते हैं तो स्क्रीन टाइम कम कर दें। कई लोग देर रात तक भोजन नहीं करते हैं, इसके कारण भी नींद समय पर नहीं आती है। यदि समय पर भोजन करेंगे तो भी इससे नींद समय पर आती है। सबसे ज्यादा यह समस्या युवा वर्ग को आती है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। सभी लोगों को किसी न किसी प्रकार का तनाव होता है। तनाव के कारण भी देर रात तक नींद नहीं आती है। यदि किसी को ऐसी परेशानियां हो रही

हींग के पानी के स्वास्थ्य लाभ

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  *जानिए हींग के पानी के स्वास्थ्य लाभ*   1) कब्ज की शिकायत होने पर हींग का प्रयोग लाभ देगा। रात को सोने से पहले हींग के चूर्ण को पानी में मिलाकर पिएं और सुबह देखें असर। सुबह पेट पूरी तरह से साफ हो जाएगा। 2) अगर भूख नहीं लगती या भूख लगना कम हो गया है, तो भोजन करने से पहले हींग को घी में भूनकर अदरक और मक्खन के साथ लेने से फायदा होगा और भूख खुलकर लगेगी। 3 त्वचा में कांच, कांटा या कोई नुकीली चीज चुभ जाए और निकालने में परेशानी आ रही हो, तो उस स्थान पर हींग का पानी या लेप लगाएं। चुभी हुई चीज अपने आप ही बाहर निकल आएगी। 4 अगर कान में दर्द हो रहा हो, तो तिल के तेल में हींग को गर्म करके, उस तेल की एक-दो बूंद कान में डालने से कान का दर्द पूरी तरह से ठीक हो जाएगा। 5 दांतों में कैविटी होने पर भी हींग आपके लिए काम की चीज साबित हो सकता है। अगर दांतों में कीड़े हैं, तो रात को दांतों में हींग लगाकर या दबार सो जाएं। कीड़े अपने आप निकल आएंगे।

मानसिक सेहत

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  *मानसिक सेहत के लिए जरूरी हैं ये हेल्दी फूड*   1 दही - दही न केवल आपके पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है बल्कि मस्तिष्क की क्रियाविधि को भी प्रभावित करता है। डाइट में ज्यादा से ज्यादा दही का सेवन, आपके तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है और अगर आपका स्वभाव चिड़चिड़ा हो चुका है, तो दही आपके मूड को बेहतर बनाने में भी मददगार है। 2  हरी सब्जियां - हरी सब्जियों को दिन में एक बार अपनी डाइट में शामिल करना डिमेंशिया को कोसों दूर रखता है। जो लोग ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियों को अपनी डाइट में शामिल करते हैं, उनका दिमाग लंबे समय तक सक्रिय रहता है, जो मानसिक सेहत के लिए अच्छा है। 3 सूखे मेवे - सूखे मेवे, ड्रायफूट्स या नट्स कह लो... सभी में मैंगनीज़, सेलेनियम और तांबा प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो मस्तिष्क की क्रियाओं को इंप्रूव करने और मानसिक कमजोरी को दूर करने में अहम भूमिका निभाते हैं। 4 डार्क चॉकलेट - डार्क चॉकलेट में मौजूद कोकोआ के कारण इसे दिमाग के बेहतरीन रक्तसंचार के लिए लाभप्रद माना जाता है। इसके अलावा इसमें मौजूद फ्लेवेनॉयड दिमाग को युवा रखने के साथ ही रेडिकल डैमेज से भी बचाता है।

*अनोखा है, हमारा शरीर*

  * अनोखा है,  हमारा शरीर *  जानिए जिस्म के बारे में *जबरदस्त फेफड़े* हमारे फेफड़े हर दिन 20 लाख लीटर हवा को फिल्टर करते हैं. हमें इस बात की भनक भी नहीं लगती. फेफड़ों को अगर खींचा जाए तो यह टेनिस कोर्ट के एक हिस्से को ढंक देंगे. *ऐसी और कोई फैक्ट्री नहीं* हमारा शरीर हर सेकंड 2.5 करोड़ नई कोशिकाएं बनाता है. साथ ही, हर दिन 200 अरब से ज्यादा रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है. हर वक्त शरीर में 2500 अरब रक्त कोशिकाएं मौजूद होती हैं. एक बूंद खून में 25 करोड़ कोशिकाएं होती हैं. *लाखों किलोमीटर की यात्रा* इंसान का खून हर दिन शरीर में 1,92,000 किलोमीटर का सफर करता है. हमारे शरीर में औसतन 5.6 लीटर खून होता है जो हर 20 सेकेंड में एक बार पूरे शरीर में चक्कर काट लेता है. *धड़कन, धड़कन* एक स्वस्थ इंसान का हृदय हर दिन 1,00,000 बार धड़कता है. साल भर में यह 3 करोड़ से ज्यादा बार धड़क चुका होता है. दिल का पम्पिंग प्रेशर इतना तेज होता है कि वह खून को 30 फुट ऊपर उछाल सकता है. *सारे कैमरे और दूरबीनें फेल* इंसान की आंख एक करोड़ रंगों में बारीक से बारीक अंतर पहचान सकती है. फिलहाल दुनिया में ऐसी कोई मशीन नहीं

"खतरनाक फूड कॉम्बिनेशन"

  " खतरनाक  फूड कॉम्बिनेशन" *क्या आपकी डाइट का हिस्सा बन चुके हैं ये खतरनाक  फूड कॉम्बिनेशन? तो सावधान हो जाएं* 1 ब्रेड के साथ जैम- हममें से ज्यादातर लोगों ने बचपन में और कई बार बड़े होकर भी इसका आनंद लिया है। लेकिन यह सेहत के लिए किसी भी तरह से फायदेमंद नहीं है। मैदे से तैयार की गई सफेद ब्रेड के साथ जैम, जिसमें सिर्फ शकर होती है, वह भी फ्लेवर के साथ। यह आपको हाई और लो शुगर जैसी समस्याएं दे सकती है। अगर आपको इसे खाना ही है, तो ब्राउन ब्रेड का इस्तेमाल करें, जिसमें यीस्ट नहीं होता। जैम का कोई विकल्प नहीं है।  2 सोडा और पिज्जा- इस डाइट में आप स्टार्च, प्रोटीन और कार्ब्स को एक ही बार में ले रहे हैं, वह भी अपने पाचन तंत्र पर अतिरिक्त भार देने के साथ-साथ। पिज्जा के साथ अगर आपको सोडा या कोल्ड्र‍िंक पीने का शौ‍क है तो आप अपने पाचन तंत्र की प्रक्रिया को और भी धीमा करने का काम कर रहे हैं जिसमें पेट का फूलना या भरा-भरा महसूस होना बेहद आम है।  3 चीज और पास्ता- आप पास्ता खाने के शौकीन हैं? तो आपको यह जानना बहुत जरूरी है कि इसके साथ टमाटर और चीज का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह वसा क

"कुछ जरुरी बाते"

" कुछ जरुरी बाते " किस महीने में क्या नही खाना चाहिए और क्या जरूर खाना चाहिए . चैत में गुड बिलकुल नहीं खाना चाहिए. नीम की पत्ती /फल, फूल खूब चबाना चाहिए. बैसाख में नया तेल नहीं खाना चाहिए , चावल खूब खाएं। जेठ में दोपहर में चलना मना है, दोपहर में सोना जरुरी है। आषाढ़ में पका बेल खाना मना है , घर की मरम्मत जरूरी है। सावन में साग खाना मना है, हर्रे खाना जरूरी है। भादो मे दही नहीं खाना चाहिए , चना खाना जरुरी है। कुवार में करेला मना है, गुड खाना जरुरी है। कार्तिक में जमीन पर सोना मना है, मूली खाना जरूरी है। अगहन में जीरा नहीं खाना चाहिए , तेल खाना जरुरी है। पूस में धनिया नहीं खाना चाहिए , दूध पीना जरूरी है। माघ में मिश्री नहीं खानी चाहिए  , खिचड़ी खाना जरुरी है। फागुन में चना नहीं  खाना चाहिए , प्रातः स्नान और नाश्ता जरुरी है। कुछ जरुरी बाते. सर्व प्रथम यह जान लीजिये कि कोई भी आयुर्वेदिक दवा खाली पेट खाई जाती है और दवा खाने से आधे घंटे के अंदर कुछ खाना अति आवश्यक होता है, नहीं तो दवा की गरमी आपको बेचैन कर देगी। चाय के साथ कोई भी नमकीन चीज नहीं खानी चाहिए।दूध और नमक का संयोग सफ़ेद

"थकान उतारने के आसान तरीके"

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  " थकान उतारने के आसान तरीके " अधिक परिश्रम करने से शरीर में थकान आ जाती है, शरीर सुस्त हो जाता है। फिर कुछ काम करने का मन नहीं करता, सिर्फ आराम की जरूरत महसूस होती है। थकान उतारने के लिए आप कुछ इस तरह प्रयास करें-अपनी दो अँगुलियों के पोरों से चेहरे की हल्की मालिश करें। इससे ब्लड सर्कूलेशन बढ़ेगा, जिससे आप महसूस करेंगे कि आपकी थकान रफूचक्कर हो गई है।  * नाक के दोनों ओर हल्की मालिश करते हुए धीरे-धीरे दोनों आँखों के बीच वाले भाग से लेकर आँखों के नीचे भी हल्की मालिश करें। फिर इसी तरह से भौहों तक पहुँचें।  * भौहों पर हल्का दबाव डालते हुए अंदर से बाहर की ओर मालिश करें।  * अब आँखों के बाहरी किनारों पर मालिश करते हुए ललाट तक पहुँचें। * इसके बाद आँखों के एकदम नीचे की ओर आएँ। गालों के बीच हल्की मालिश करते हुए फिर ऊपर से ही मसूड़ों की भी मालिश करें। इसके बाद जबड़ों को अंगुलियों की पकड़ में लें और जबड़ों के किनारों पर हल्का दबाव डालें। * कई बार सुगंधित तेल के प्रयोग से भी शरीर की थकावट को भगाया जा सकता है। सुगंधित तेल से प्रभावित अंग की हल्की मालिश करने से ताजगी महसूस होती है।

"सौंफ के चमत्कारी गुण"

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"सौंफ के चमत्कारी गुण" सौंफ में कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं, जिनका सेवन करने से स्वास्य्े को फायदा होता है। सौंफ हर उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद होती है। सौंफ में कैल्शियम, सोडियम, आयरन, पोटैशियम जैसे तत्व पाये जाते हैं। सौंफ का फल बीज के रूप में होता है और इसके बीज को प्रयोग किया जाता है। पेट की समस्याओं के लिए सौंफ बहुत फायदेमंद होती है। आइए जानते हैं सौंफ खाना स्वास्य्ाते के लिए कितना फायदेमंद हो सकता है। सौंफ के लाभ – • सौंफ खाने से पेट और कब्ज की शिकायत नहीं होती। सौंफ को मिश्री या चीनी के साथ पीसकर चूर्ण बना लीजिए, रात को सोते वक्त लगभग 5 ग्राम चूर्ण को हल्केस गुनगने पानी के साथ सेवन कीजिए। पेट की समस्या नहीं होगी व गैस व कब्ज दूर होगा। • आंखों की रोशनी सौंफ का सेवन करके बढ़ाया जा सकता है। सौंफ और मिश्री समान भाग लेकर पीस लें। इसकी एक चम्मच मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ दो माह तक लीजिए। इससे आंखों की रोशनी बढती है। • डायरिया होने पर सौंफ खाना चाहिए। सौंफ को बेल के गूदे के साथ सुबह-शाम चबाने से अजीर्ण समाप्त होता है और अतिसार में फायदा होता है। • खाने के बाद सौंफ का सेवन

"भोजन विधि"

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"भोजन विधि" (भोजन खाने के नियम)  भोजन शुरू करने से पहले आपको आद्रक (अदरक) का छोटा टुकड़ा और चुटकी भर सैंधव (सेंधा नमक) मिलाकर खाना चाहिए। यह आपके पाचन को बढ़ावा देने के लिए आपकी अग्नि (पाचन अग्नि) को बढ़ाएगा, आपकी जीभ और गले को साफ करेगा जिससे आपकी स्वाद कलिकाएं सक्रिय होंगी।  घृत को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए।  सबसे पहले सख्त खाद्य पदार्थ जैसे रोटी आदि से शुरुआत करें, फिर नरम खाद्य पदार्थ खाएं।  भोजन के अंत में आपको तक्र (छाछ) जैसे तरल पदार्थ का सेवन करना चाहिए।  ऐसा करने से आपको ऊर्जा और स्वास्थ्य मिलता है।  भोजन एकाग्रचित्त होकर करना चाहिए।  सबसे पहले, मधुर द्रव्य (मीठा भोजन) से शुरू करें, फिर बीच में, अमला द्रव्य (खट्टा भोजन) और लवण युक्त द्रव्य (नमकीन भोजन), और अंत में, तिक्त द्रव्य (कड़वा भोजन), कटु द्रव्य (मसालेदार भोजन),  और कषाय द्रव्य (कसैला भोजन)।  नरम भोजन में सबसे पहले दाड़िमा आदि फलों से शुरुआत करें, लेकिन भोजन की शुरुआत में केला और खीरा जैसे फल न खाएं क्योंकि खीरे में पानी होता है इसलिए यह पाचन अग्नि को कम कर देगा।  पेट के दो हिस्से (पेट की आधी क्षमता) ठोस

भगवान् श्री पार्श्वनाथ -

 भगवान् श्री पार्श्वनाथ तीर्थंकर चरित्र- प्रथम व द्वितीय भव भगवान् पार्श्वनाथ के दस भवों का विवेचन मिलता है। पोतनपुर नगर के नरेश अरविन्द थे। उनकी रानी रतिसुंदरी थी। नरेश के पुरोहित का नाम विश्वभूति था। उसकी पत्नी अनुद्धरा थी। पुरोहित के दो पुत्र थे- कमठ और मरुभूति। कमठ कुटिल प्रकृति का था जबकि मरुभूति भद्र प्रकृति का । यह मरुभूति पार्श्व का जीव था। कमठ व मरुभूति का विवाह क्रमशः वरूणा व वसुन्धरा के साथ हुआ। __ कमठ को परिवार का भार सौंप कर पुरोहित विश्वभूति ने दीक्षा ले ली। मरुभूति हरिश्चन्द्र आचार्य के पास श्रावक बन गया। मरुभूति की पत्नी वसुन्धरा अत्यन्त रूपवती थी। कमठ ने उसे चाल में फंसा कर अपनी प्रेमिका बना लिया। एक दिन दोनों को व्यभिचार में रत देखकर मरुभूति ने राजा से शिकायत की। राजा ने कमठ को बुलाया और उसे गधे पर बिठाकर शहर में घुमाया और नगर से निष्कासित कर दिया। कमठ क्रोधित होकर तापस बन गया। कालांतर में उसकी उग्र तपस्वी के रूप में प्रसिद्धि हुई। मरुभूति क्षमा मांगने के लिए कमठ के पास आश्रम में आया। मरुभूति को देखते ही कमठ ने क्रुद्ध होकर एक बड़ी शिला उठाकर उसके माथे पर दे मारी, जिस