शिव भक्ति
शिव स्तवन शंकर शशांकशीश शंभु शिव शूलपाणि, शशिशिर शैलजेश शर्व शाम्भवी के पति । कंठ कालकूट काम कदन कपाली काली- कंत करुणाकर कपर्दी है कृपालु अति ।। भूतनाथ भव्य भव भस्मअंग भालज्वाल, भीम भव तारक भवेश भक्त अंतगति। 'चैलहीन चंड चिंत्य 'शुक्ल' चित्त-चिंतामणि, चंद्रचूड़ चारु अंघ्रि युग्म में मदीय रति ।। शिव भक्ति भगवान शिव को देवों का देव महादेव कहा गया है। मानव से लेकर दानव और देव तक सभी उनकी पूजा करते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के जतन करते हैं। भगवान शिव के विषय में यह भी कहा जाता है कि यह औपचारिकताओं के बजाय भक्त की भावनाओं को अधिक महत्व देते हैं। थोड़े में ही बहुत प्रसन्न हो जाते हैं। इसीलिए उन्हें आशुतोष का नाम भी दिया गया है। यह उनकी महिमा ही है कि आकाश- पाताल सर्वत्र प्रजापति, गंदर्भ, किन्नर, नाग, वसु, यक्ष तथा सभी योनियों के विभिन्न ज्ञात एवं अज्ञात घटकगण भग