योग का महत्व

  योग का महत्व




योग कोई एक दिन का उत्साह या उत्सव नहीं है। योग का लाभ इसकी निरंतरता में ही निहित है। योग वस्तुतः जीवन का वह दर्शन है जो मनुष्य को उसके आत्मा से जोड़ता है। योग संयोग और सहयोग हमारे जीवन के तीन मुख्य पैरोकार हैं। बीकेएस आयंगर ने कहा है, 'योग वह प्रकाश है, जो एक बार जला दिया जाए तो कभी कम नहीं होता जितना अच्छा आप अभ्यास करेंगे, इसकी लौ उतनी ही उज्ज्वल होगी।

स्वास्थ्य को सामान्यतः शरीर से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन पूर्ण स्वास्थ्य के लिए शरीर और मन के स्थायित्व एवं संतुलन के साथ ही भावों का निर्मल होना आवश्यक है। शरीर और मन दोनों का स्वस्थ रहना ही पूर्ण स्वास्थ्य की आवश्यक शर्त है। चूंकि योग से शारीरिक व्याधियों के अतिरिक्त मानसिक समस्याओं से भी मुक्ति पाई जा सकती है तो यह बहुत ही उपयोगी है। महर्षि पतंजलि ने योग की महिमा के विषय में कहा है, 'योग मन को शांति में स्थिर करना है। जब मन स्थिर हो जाता है, हम अपनी आवश्यक प्रकृति में स्थापित हो जाते हैं, जो कि असीम चेतना है। हमारी आवश्यक प्रकृति आम तौर पर मस्तिष्क की गतिविधियों द्वारा ढक दी जाती है।"

योग का लाभ हमारे जीवन को बेहतर बनाने की एक विधि के रूप में काम आता है। जब तक जीवन में शालीनता, उदारता, दयाभाव, करुणा, प्रेम, परोपकार, ईमानदारी, सच्चाई और अहिंसा के अंकुर नहीं फूटेंगे, तब तक महानता दूर की कौड़ी ही रहेगी। योग प्रकृति के, आत्मा के और ईश्वर के गुणों को उत्पन्न करता है। योग मनुष्य को मानसिक तनाव से दूर रखता है। चिंता, तनाव, भय एवं अवसाद से मुक्ति में सहायक होता है। ईर्ष्या, द्वेष और घृणा जैसे विकारों से बचाता है। योग की खूबसूरती यही है कि यह हमारी भौतिक एवं आध्यात्मिक उन्नति सुनिश्चित करते हुए संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास करता है। इसलिए प्रतिदिन योग अभ्यास करना हितकारी है।



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