नीम से लाभ......
नीम से लाभ......
नीम का प्रयोग विषम ज्वर में :-
किसी तरह का विषम ज्वर हो और बहुत इलाज के बाद भी जा ना रहा हो तो ऐसी अवस्था में नीम के पेड़ की अंदर वाली छाल को उतारकर उसका चूर्ण अथवा क्वाथ बनाकर रोगी को प्रत्येक 4-5 घण्टे के अंतर पर सेवन कराया जाये तो यह प्रयोग बहुत ही उत्तम औषधि का कार्य करता है नीम की छाल के इस प्रयोग का सेवन रोगी उस समय भी कर सकता है जिस समय ज्वर तीव्र हो एवं उस समय भी कर सकता है जिस समय ज्वर हल्का अथवा बिल्कुल भी ना हो । यदि मौसम में ज्वर का असर बहुत ज्यादा फैल रहा हो तो स्वस्थ व्यक्ति भी नीम यह प्रयोग कर सकता है ।
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नीम का प्रयोग पुरानी कब्ज़ एवं आँतों के कीड़ों में :-
यदि कब्ज़ की समस्या ज्यादा है तो नीम की 5-7 निम्बोली लेकर उनको 300 मिलीलीटर पानी के साथ उबालकर काढ़ा तैयार करें । काढ़ा पकते-पकते जब शेष जल की मात्रा 200 मिलीलीटर रह जाये तो इस काढ़े को छानकर पीना चाहिये । यह प्रयोग केवल रात को सोते समय ही करना चाहिये । इस प्रयोग के करने से सुबह शौच खुलकर आ जाता है । यदि आँतों में कीड़े हों तो इस काढ़े में चुटकी भर भुनी हुई हींग मिलाकर तब पीना चाहिये । एक दो दिन में ही सभी कीड़े बाहर निकल जायेंगे ।
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नीम का प्रयोग अपच में :-
कभी कभी पेट में पड़ा हुया भोजन कई कारणों से पच नही पाता है और तब इस अवस्था में प्रायः जी मिचलाने की समस्या हो जाती है और ऐसा मन करता है कि मुँह में उंगली डालकर उल्टी कर ली जाये । किंतु बारबार प्रयास करने के बाद भी उल्टी हो नही पाती है । ऐसी अवस्था में नीम के पत्तों का ताजा निकाला गया रस आधा कप लेकर उसमें आधा कप गुनगुना पानी और दो चुटकी नमक मिलाकर पीना चाहिये । यह बहुत शीघ्र ही उल्टी करवा देता है जिससे कि अपचा भोजन पेट से बाहर निकल जाता है और रोगी को तुरंत आराम आ जाता है ।
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नीम का प्रयोग योनि की दुर्गन्ध में :-
बहुत सी स्त्रियाँ अपने गुप्तांगों की सफाई पर समुचित ध्यान नही देती हैं जिस कारण कई बार उनको योनि के विभिन्न संक्रमण एवं प्रदर आदि रोग हो जाते है जिनमें अक्सर बहुत ही घृणित सी दुर्गंध आती है । उचित इलाज करवाने से यह समस्यायें ठीक भी हो जाती हैं, किंतु कई बार यह योनी की दुर्गन्ध नही जाती है और धीरे-धीरे बढ़ती जाती है और योनि में खुजली भी होने लगती है । इस विकट समस्या में नीम के पत्तों का क्वाथ तैयार करके इस क्वाथ से दिन में तीन-चार बार योनि के अंदर से धुलाई एवं पौंछाई करनी चाहिये । इसके लिये सूती कपड़े की दो-चार तह का पैड बनाकर प्रयोग किया जा सकता है । इस कार्य के लिये किसी कुशल नर्स की सहायता ली जाये तो उचित होगा अथवा सावधानी पूर्वक खुद भी किया जा सकता है ।
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नीम का प्रयोग पायरिया में :-
अक्सर दाँतों की साफ सफाई पर सही तरह से ध्यान न देने पर एवं खाना खाने के बाद कुल्ला ना करने पर खाने के कण दाँतों के बीच में फँसे रह जाते हैं जिनके अन्दर विभिन्न प्रकार के जीवाणु पैदा हो जाते हैं और दाँतों और मसूढ़ों को सड़ाना शुरु करते हैं । जब लगातार लम्बे समय तक इस तरह की लापरवाही बरती जाती है तो मसूढ़े ढीले और पिलपिले होकर सूज से जाते हैं और इनके अंदर पस एवं गंदा खून इकट्ठा होने लगता है । जब यह गन्दगी मसूढ़ों के अंदर अधिक एकत्रित हो जाती है तो यह दाँतो के नीचे से रिसने लगती है और मूँह में से बहुत बुरी दुर्गन्ध आने लगती है जो अक्सर खुद को महसूस नही होती किंतु दूसरे इन्सान को सामने खड़ा होकर बात करने में बहुत दिक्कत होती है । इस रोग को पायरिया कहा जाता है । पायरिया के इस रोग में नीम की पत्तियों का एवं नीम की दातुन का बहुत ही अच्छा लाभकारी असर होता है । इस तरह के रोगी को रोज सुबह और शाम नियमित ताजी दातुन करनी चाहिये । तथा दिन में चार पाँच बार ताजी पत्तियाँ तोड़कर चबानी चाहियें । दातुन करते समय और पत्तियाँ चबाते समय जो भी गंदा पानी मुँह में एकत्रित हो उसको थूकते रहना चाहिये । इस तरह यह प्रयोग लगातार एक माह तक करने से पुराने से पुराना पायरिया भी जड़ से खत्म हो जाता है । जिनको पायरिया की समस्या नही हैं वो लोग भी इस प्रयोग को करके अपने दाँतों के स्वास्थय को बनाये रख सकते हैं ।
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नीम का प्रयोग जोड़ों के दर्द में :-
जोड़ों के दर्द की समस्या तो जैसे हर परिवार में किसी ना किसी को पाई ही जाती है और इस रोग का रोगी ना जाने क्या क्या प्रयास करता रहता है ठीक होने के लिये । विभिन्न प्रयोगों में यह पाया गया है कि यदि जोड़ों के दर्द का रोगी नीम के पत्तों का रस रोज दिनभर में पाँच-छह बार तीस-तीस मिलीलीटर पिये और साथ ही दिन में दो-तीन बार नीम के तेल से दर्द वाले हिस्से पर हल्के हल्के हाथ से मालिश की जाये तो जोड़ों के दर्द में बहुत ही लाभ मिलता है । इस प्रयोग के दौरान यदि रोज सुबह के समय दस-पंद्रह दाने मेथी दाने के खाली पेट ही खाये जायें जो यह न सिर्फ जोड़ों के दर्द को खत्म करता है बल्कि जोड़ों की मजबूती भी बढ़ाता है ।
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