*रत्नत्रय!*
*रत्नत्रय!*
👉सम्यक् दर्शन,ज्ञान,चरित्र ही मोक्ष का मार्ग है।
सम्यक् दर्शन अर्थात धर्म को जानना,
सम्यक् ज्ञान अर्थात धर्म को मानना और
सम्यक् चरित्र अर्थात जाने माने हुए धर्म मार्ग की ओर बढ़ना।
इन तीनों के समावेश के बाद व्यक्ति को निश्चित ही मोक्ष का मार्ग प्रशस्त हो जाता है।
👉देव गुरू व धर्म के प्रति सच्ची श्रद्धा रखना चाहिए।जिस प्रकार शरीर को पानी की आवश्यकता होती है।उसी प्रकार आत्मा को परमात्मा की आवश्यकता होती है।हमें संसार से तिरना है डूबना नहीं,अगर कोई साथ जाता है तो वह है पुण्य व पाप,इसलिए व्यक्ति को धर्म कार्य करना चाहिए,पाप कार्य नहीं।

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